स्वामी विवेकानंद जिन्हें प्रेरणा श्रोत का जनक कहा जाता है।
विचार व्यक्तित्त्व की जननी है, जो आप सोचते हैं बन जाते हैं” भारतीय धर्मनिरपेक्षता के आचरण ने अपने निहित दोषों के बावजूद देश को अन्य पड़ोसी देशों से अलग स्वरूप प्रदान किया है। भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा मुस्लिम आबादी वाला देश है। अभूतपूर्व विविधता के बीच लोकतंत्र को सशक्त बनाए रखने की भारत की क्षमता विश्व की उन उन्नत औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं तक के लिये उदाहरण पेश कर सकती है जो पारंपरिक एकल-सांस्कृतिक राष्ट्र की तरह संचालित किये जाते रहे हैं। भारत के धर्मनिरपेक्ष आदर्शों की जड़ें उसके संविधान में हैं और भारतीय जनता द्वारा प्रख्यापित हैं। भारतीय धर्मनिरपेक्षता ने अपनी अपूर्णता में भी सदैव ‘सर्वधर्म समभाव’ जिसका अर्थ है कि सभी धर्म एक ही लक्ष्य की ओर ले जाते हैं, पर बल दिया है जहाँ सभी धर्मों के प्रति एकसमान सम्मान का भाव निहित है।
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04
Jan 2024 8:15 PM
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