प्रकृति और प्रेमिका

बक्त का जहाँ हो न बंधन हर सुबह  हर शाम हो अपनी सरिता सी उन्मद लहरों जैसे मंजिल की और बढू नए दम में

ଜୀବନଶୈଳୀ

11
Feb
2024 2:15 PM


प्रकृति और प्रेमिका